बेटियां अनपढ़ रहे तो अच्छा है ,
सबकी हाँ में हाँ , सबकी ख़ुशी में ख़ुशी ,
ज्ञान नहीं तो तर्क नहीं ,
सही गलत में फर्क नहीं ,
ना समझे कभी खुद को इंसान ,
ना हो कभी उनका कोई अरमान ,
हे प्रभु मैं नहीं बदल सकती सब ,
बेटियां ना जन्में अब ,
बेटियां ना पैदा हो तो अच्छा है ,
या फिर समानता के अधिकार का झूठा पाठ ना पढ़ाया जाए ,
या फिर उन्हें पढ़ाया ही ना जाए ,
जिस बोतल पर जहर लिखा है , उसे कैसे पिया जाए ,
बेहतर है कि लिखा हुआ कुछ भी समझ ही ना आये ,
जो जहर नहीं पी पा रही मैं ,
वो मेरी बेटी कैसे पीयेगी ,
ये नियम , ये समाज , ये तानाशाही ,
इसमें मेरी बेटी कैसे जियेगी ,
हे प्रभु सबको देना संतान ,
बस बेटी ना देना भगवान् ,
मुझे बेटी ना देना भगवान् ,
किसी को बेटी ना देना भगवान् |
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