कुछ कहना चाहती हूँ ,
कई बातें हैं मन में ,
बड़े लम्बे समय से ,
बातें बहुत सी हैं ,
अपने सभी हैं ,
लेकिन मेरी बात सुनने वाला कोई भी नहीं ,
घुटन हो रही है ,
उलझन है , बहुत से वादे थे ,
जो पूरे नहीं हुए ,
वो वादे नहीं बल्कि शर्तें थी , जो मुझे पाने के लिए , बहकाने के लिए किये गए थे ,
मुझे तुम सुनते रहते बस उतना काफी था ,
तुम कुछ ना कहते ,
अगर अपना समझते , तो कभी ये सब ना कहते ,
अपने अपनों से तो कभी ऐसे नहीं बोलते हो ,
देखा है मैंने , सुना है तुम्हे ,
अब मेरे हाथो में कुछ भी नहीं ,
बस चुप रहना चाहती हूँ ,
बहुत छोटी सी हैं ज़िन्दगी ,
कुछ पल जो बचे हुए हैं ,
उनमें शांति और सुकून में जीना चाहती हूँ ,
किसी ऐसे इंसान से जो सारी बातें सुन ले मेरी ,
कुछ कुछ कहना चाहती हूँ |
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